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फ्यूचर मेकर लीडर और उसके जैसे प्लान सावधान

फ्यूचर मेकर कंपनी घोटाला: कंपनी की धांधली पर थी अफसरों की नजर, तेलंगाना पुलिस ने पहले की कार्रवाई।

Future Maker Company Scam:जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे कंपनी के काले कारनामों का खुलासा भी होता जा रहा है।

हिसार. ‘फ्यूचर मेकर लाइफ केयर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी’ (एफएमएलसी) की बुनियाद ही झूठ पर खड़ी हुई थी। अब रोज नए खुलासे हो रहे हैं तो कई गंभीर सवाल भी सामने आने लगे हैं।खुलासा सेंट्रल जीएसटी से जुड़े अधिकारियों ने अपनी जांच में किया है। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी के रिटर्न न भरने पर सीजीएसटी के अधिकारियों ने एफएमएलसी को नोटिस जारी कर रिटर्न भरने के लिए कहा था। अधिकारियों की मानें तो जुलाई 2017 से जुलाई 2018 तक कंपनी का 1500 करोड़ रुपए का टर्नओवर था, जोकि जीएसटी में ऑनलाइन दर्ज भी है। कंपनी की अगर पिछले दो माह की रिपोर्ट देखें तो हर महीने 150 करोड़ रुपए का व्यापार कंपनी कर रही थी। मगर शक कंपनी के काम करने के तरीके से शुरू हुआ। इसकी जांच डायरेक्टोरेट जनरल कॉमर्शियल इंटेलीजेंस(डीजीसीआई) पहले से ही कर रही थी। इसके लिए हिसार के सीजीएसटी अधिकारियों को साथ लेकर टीम बनाई गई थी। इसके बाद सेंट्रल जीएसटी टीम ने नोटिस देकर 27 करोड़ रुपए भरवाए थे।
कच्चा माल नहीं लेकिन प्रोडक्ट बनते रहे

- सीजीएसटी के असिस्टेंट कमिश्नर दिनेश बिश्नोई ने बताया कि कंपनी राज्य में नहीं बल्कि केन्द्र में रजिस्टर्ड थी। डीजीसीआई केंद्र की एक अलग इंटेलीजेंस विंग है, तो उन्होंने अपने सूत्रों से पता किया कि यह फर्म करोड़ों के ट्रांजेक्शन कर रही है, मगर कई महीनों से रिटर्न नहीं भर रही थी। इस पर टीम ने जांच शुरू की, जिसमें हिसार के सेंट्रल जीएसटी के अधिकारी भी शामिल रहे। इसमें सीजीएसटी ने रिटर्न भरने के लिए पहला लेटर भेजा, मगर यहां देखा कि कंपनी लोगों को प्रोडक्ट की इन्वर्ट सप्लाई कर रही है। कंपनी में कुछ कच्चा माल ही नहीं तो प्रोडक्ट बन कैसे रहे थे। यहीं से शक हुआ। इसे फाइनेंस की भाषा में कहते हैं इन्वर्ट कुछ भी नहीं है और आउटवर्ट हजारों प्रोडक्ट हो गए। यह सीधे-सीधे टैक्स चोरी है।

किसी सवाल का जवाब भी नहीं

- यहां जांच टीम समझ गई थी कि यह लोगों को प्रोडक्ट के नाम पर रुपए निवेश करा रही है। कंपनी ने अपनी सप्लाई 5 करोड़ रुपए अंडमान निकोबार में और 32 करोड़ रुपए नॉर्थ ईस्ट में दिखा रखी थी। जांच टीम ने जब पूछा कि क्या इन जगह कंपनी का ऑफिस है तो यह जवाब नहीं दे सके। फिर सामान हिसार से जा रहा है तो किस ट्रांसपोर्ट से जा रहा है, क्योंकि अंडमान निकोबार के लिए फ्लाइट या दूसरे रास्तों का प्रयोग करना होगा। इसकी जानकारी भी कंपनी नहीं दे सकी। यह कार्यवाही चल ही रही थी कि तेलंगाना पुलिस ने इनके दो लोगों को अरेस्ट कर कंपनी का मेन ऑफिस सील कर दिया।

डीजीसीआई करने गई थी गिरफ्तारी, इससे पहले तेलंगाना पुलिस ने कर दी कार्रवाई
- सीजीएसटी के असिस्टेंट कमिश्नर दिनेश बिश्नोई बताते हैं कि यह फर्म शुरू से ही सेंट्रल में रजिस्टर्ड थी, वह इसकी जांच कर रहे थे कि इतने में फर्म के माल की गाड़ी स्टेट सेल टैक्स की टीम ने पकड़ ली। चूंकि इससे पहले ही हम फर्म को 4 से 5 महीनों का रिटर्न न भरने पर नोटिस दे चुके थे तो कंपनी एक बार 11 करोड़ दूसरे बार 15 करोड़ कुछ रुपये भर गई। यानि 27 करोड़ रुपए भरवाए गए। इनसे अगस्त महीने का 7 करोड़ रुपये का बकाया टैक्स लेना था, जिसके लिए हमने कंपनी को नोटिस भी दिया था। कंपनी की मोहलत 8 सितंबर को खत्म हो चुकी थी, हम सीएमडी की गिरफ्तारी के लिए इनके ऑफिस गए वहां पर सील मिली। यानि तब तक तेलंगाना पुलिस कार्रवाई कर चुकी थी। अब कंपनी पर 7 करोड़ रुपए टैक्स के और 1 करोड़ रुपए जीटीए के बकाया हैं। नियमानुसार 1 करोड़ रुपए से अधिक रिटर्न बाकी होने पर सीधे गिरफ्तारी होती है।

कैसे हुआ घोटाले के खुलासा

- हरियाणा के हिसार जिले से जुड़े चिटफंड घोटाले का पर्दाफाश तेलंगाना पुलिस ने किया। उसने हिसार में आरोपी कंपनी ‘फ्यूचर मेकर’ के खिलाफ कार्रवाई की। कंपनी पर आरोप हैं कि उसने कई लोगों को अनेक तरह के लाचर देकर उनसे पैसे ऐंठे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह चिटफंड घोटाला करीब 1200 करोड़ रुपए का है। इस मामले में फ्यूचर मेकर कंपनी के सीएमडी राधेश्याम और डायरेक्टर सुरेंद्र सिंह को रविवार को कोर्ट में पेश किया गया। साइबराबाद पुलिस कमिश्नर ने बताया कि आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। पुलिस ने उनके घरों पर भी छापा मारा। वहां से बरामद उनके लैपटॉप्स और दूसरे दस्तावेजों की जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि जांच के दौरान इस बात का पता लगाया जाएगा कि कथित तौर पर ठगी से जो पैसा आया उसका इस्तेमाल किन लोगों ने और कहां किया। मामले में आरोपियों की संख्या बढ़ भी सकती है।

कंपनी के बैंक खाते सील
- जानकारी के मुताबिक, कंपनी के जिन पांच बैंक अकाउंट्स को सील किया गया है उनमें 218 करोड़ से ज्यादा की रकम जमा है। राधेश्याम और सुरेंद्र सिंह से पूछताछ की जा रही है। बताया जाता है कि आरोपी पहले कुछ छोटी-बड़ी कंपनियों में मार्केटिंग कर चुके हैं। इन लोगों के निशाने पर ज्यादातर युवा, रिटायर्ड कर्मचारी और महिलाएं थीं। आरोपी चेन सिस्टम का उपयोग करते थे और इसी के जरिए कंपनी से नए लोगों को जोड़ने का लालच देते थे। कंपनी का टारगेट हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और ओडिशा जैसे राज्यों के चुनिंदा जिले थे।

घोटाला कैसे आया नजर में?
- तेलंगाना पुलिस को पिछले कई दिनों से फ्यूचर मेकर लाइफ केयर ग्लोबल मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड के बारे में शिकायतें मिल रही थीं। इसके बाद उसने पिछले सप्ताह शुक्रवार को इस कंपनी के रेड स्क्वायर मार्केट में छापेमारी की। आरोप है कि इस कंपनी ने निवेश और इसके बदले मोटा फायदा दिलाने का लालच देकर लोगों से करीब बारह सौ करोड़ रुपए की ठगी की।

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