आज बड़े दुःख की बात है की रोज समाचार में सुने पढ़ने को मिल रहा है की साईं बाबा की मूर्ति को न पूजा जाये - और जिसके ऊपर उठ रहे है कुछ सवाल
1. साईं बाबा किस धरम के थे ?
हिंदुस्तान जैसे धरती जहा सेकड़ो भाषाए बोली जाती है , अनेक प्रकार के धरम और देवी देवता भगवन ईश्वर अल्लाह वाहेगुरु को मने वाले सभ एक साथ रहते है , ऐसे में साईं बाबा जिनको हम सभ एक भाईचारे का प्रतिक मानते है जो मुस्लमान को राम राम और हिन्दू को अल्लाह ठीक करेगा कहा करते थे , जिन्होंने अपने पुरे जीवन में सभ्को यही समझाना चाहा की सभका मालिक एक , साईं बाबा ने कभी ये नहीं कहा है की वह खुद मालिक है, न तो उन्होंने आपने आपको कभी भगवन कहा और न ही कभी किसीसे कहा की मुझे मनो, उन्होंने तो जीतेजी सिर्फ लोगोका भला किया बिना किसी मोह के और अपना जीवन ये समझने में लगा दिया की सभका मालिक है - जिसका मतलब है की रूप मुर्तिया और नाम तो अनेक लेकिन कोई एक है जो इन सभ्को चला रहा है , कोई एक POWER है जो हर धरम के ऊपर बैठा है ! सभका मालिक है !!
2. मंदिर क्या धर्मशाला है ?
ये सवाल कुछ धरम गुरु ने उठाया था की साईं की मूर्ति किसी मस्जिद या चर्च में नहीं है तो क्या हिन्दू के मदिर धर्मशाला है
जबकि सभसे बड़ा सत्य तो ये है की जितने भी हिन्दुओ के प्राचीन मंदिर है उनमें कोई साईं बाबा की मूर्ति स्तापित है ही नहीं चाहे वह चार धाम हो , बारह ज्योतिर्लिंग , अष्ट विनायक मदिर हो वैष्णो देवी या तिरुपति बालाजी जैसे महान तीर्थ लेकिन सत्य तो ये है की साईं बाबा के मुख्या स्थान मंदिर शिरड़ी में सभी भगवन की प्रतिमा है ,उसी तरह पुरे भारत में जहा भी साईं बाबा के मंदिर बने है वहा पर दूसरे भगवानो की प्रतिमा जरूर होती है , क्युकी आज भी साईं बाबा के मदिर यही कहते है की में तो सिर्फ एक जरिया हु , एक सही मार्ग दर्शक हु , !
मान्यता -
अगर बात मान्यता की करे तो इतना तो साफ़ है की साईं बाबा के भक्त दिन बा दिन बढ़ते चले जा रहे है , और ये भी एक सभसे बड़ा सत्य है की साईं बाबा को आप माने इसके लिए न कोई प्रवचन होता है न कोई advertising न कोई जोर जबरदस्ती न किसी प्रकार का अंध विश्वास , इसका ये मतलब साफ़ है साईं बाबा को मैंने वाले भक्त सिर्फ उनको अपने खुद्की श्रद्धा से मानते है , और श्रद्धा इस कलयुग में तभी आती है जब किसीके काम सिद्ध हुए हो
साईं बाबा ने काफी लोगोकी बिगड़ी बनाई है , और जहा तक के में हिन्दू धरम को जनता हु जिसमें ये बताया जाता है की हर इंसान में भगवन है माता पिता भी भगवन का सुरूप है गाय भी माता है हाथी गणेश जी का सुरूप है तो बन्दर हनुमान जी (काफी अनेक उद्धरण है ) ऐसे में साईं बाबा को न मनो ये कितने स्तर तक सही रहेगा
इस लेख के माध्यम से में सिर्फ अपनी कुछ दिल की बात 'SOCIAL MEDIA' के द्वारा लोगो तक पंहुचा चाहता हु , मैंने इसमें सिर्फ अपना अनुभव को साझा है, में हर प्रकार के धरम और धरम गुरु का सामान करता हु , अगर आपको मेरा लेख सही लगा तो इसे शेयर करे उर इसमें कोई गलतिया है तो जरूार सुधरने की प्रतिक्रया दे
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जय हिन्द
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विनोद शर्मा , मुंबई
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