डिवलेपर और फाइनैंशल एडवाइजर बताकर सैंकड़ों लोगों को 200 करोड़से ज्यादा चूना लगाने वाले मास्टरमाइंड को दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अरेस्ट किया है। आरोपी विजय दीक्षित (60)की दिल्ली पुलिस को धोखाधड़ी और चेक बाउंस सहित 30 आपराधिक मामलों में तलाश थी। उसे 12 केसों में भगोड़ा घोषित किया जा चुका है।
पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर 50,000 रुपये का इनाम भी घोषित किया हुआ था। (EOW)आर्थिक अपराध शाखा के जॉइंट सीपी प्रवीर रंजन ने बताया कि विजय दीक्षित खुद को कई कंपनियों का मालिक बताता था। उसने मल्टी कमोडिटीज एक्सचेंज (एमसीएक्स) की मेंबरशिप भी ली हुई थी। वह लोगों को मोटे रिटर्न का
लालच देकर उन्हें अपनी कंपनियों में पूंजी इन्वेस्ट करने के लिए कहता था। वह खुद को कई रियल एस्टेट और पावर प्रोजेक्ट कंपनियों का मालिक बताता था। उसने हरियाणा के सोनीपत में एसबीएल नाम से रेजिडेंशल प्रोजेक्ट लॉन्च करने के नाम पर भी सैंकड़ों लोगों को चूना लगाया, जबकि उसके पास न तो सोनीपत में कोई जमीन थी और न ही किसी अथॉरिटी से यहां प्लॉट काटने की इजाजत मिली थी। कई केसों में उसे कोर्ट से भगोड़ा घोषित किया जा चुका था।
पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए कई टीमें बनाई हुई थी। लेकिन उसका कहीं कोई सुराग पुलिस को नहीं मिल रहा था। इसी दौरान पुलिस को उसके महिपालपुर स्थित एक फार्महाउस में छिपे होने के बारे में पता चला। पुलिस ने फार्महाउस पर छापा मारकर विजय दीक्षित को धर दबोचा। पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ कि उसने डिफेंस कॉलोनी में रहने वाली डॉक्टर मंजुला पाठक को भी करीब 90 लाख का चूना लगाया था। उसने अपनी पावर कंपनी में भी लोगों का पैसा लगवाया। 100 से अधिक लोगों से मोटी रकम ऐंठने के बाद उसने अपना ऑफिस बंद कर दिया था। उसने रिटायर्ड कर्नल सुरेंद्र पाल सिंह अरोड़ा को नोएडा में बनने वाले शॉपिंग मॉल में शॉप अलॉट करने का वादा किया था, लेकिन उसे नोएडा में मॉल बनाने के लिए कोई प्लॉट अलॉट नहीं किया गया था। उसने कई अन्य कंपनियों से भी मॉल में ऑफिस स्पेस आदि के लिए एग्रीमेंट किया हुआ था।
पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर 50,000 रुपये का इनाम भी घोषित किया हुआ था। (EOW)आर्थिक अपराध शाखा के जॉइंट सीपी प्रवीर रंजन ने बताया कि विजय दीक्षित खुद को कई कंपनियों का मालिक बताता था। उसने मल्टी कमोडिटीज एक्सचेंज (एमसीएक्स) की मेंबरशिप भी ली हुई थी। वह लोगों को मोटे रिटर्न का
लालच देकर उन्हें अपनी कंपनियों में पूंजी इन्वेस्ट करने के लिए कहता था। वह खुद को कई रियल एस्टेट और पावर प्रोजेक्ट कंपनियों का मालिक बताता था। उसने हरियाणा के सोनीपत में एसबीएल नाम से रेजिडेंशल प्रोजेक्ट लॉन्च करने के नाम पर भी सैंकड़ों लोगों को चूना लगाया, जबकि उसके पास न तो सोनीपत में कोई जमीन थी और न ही किसी अथॉरिटी से यहां प्लॉट काटने की इजाजत मिली थी। कई केसों में उसे कोर्ट से भगोड़ा घोषित किया जा चुका था।
पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए कई टीमें बनाई हुई थी। लेकिन उसका कहीं कोई सुराग पुलिस को नहीं मिल रहा था। इसी दौरान पुलिस को उसके महिपालपुर स्थित एक फार्महाउस में छिपे होने के बारे में पता चला। पुलिस ने फार्महाउस पर छापा मारकर विजय दीक्षित को धर दबोचा। पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ कि उसने डिफेंस कॉलोनी में रहने वाली डॉक्टर मंजुला पाठक को भी करीब 90 लाख का चूना लगाया था। उसने अपनी पावर कंपनी में भी लोगों का पैसा लगवाया। 100 से अधिक लोगों से मोटी रकम ऐंठने के बाद उसने अपना ऑफिस बंद कर दिया था। उसने रिटायर्ड कर्नल सुरेंद्र पाल सिंह अरोड़ा को नोएडा में बनने वाले शॉपिंग मॉल में शॉप अलॉट करने का वादा किया था, लेकिन उसे नोएडा में मॉल बनाने के लिए कोई प्लॉट अलॉट नहीं किया गया था। उसने कई अन्य कंपनियों से भी मॉल में ऑफिस स्पेस आदि के लिए एग्रीमेंट किया हुआ था।
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