पोंजी स्कीमों के मकड़जाल को साफ करने के लिए सरकार इनके विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत अवास्तविक रिटर्न का दावा करने वाली सामूहिक निवेश योजनाओं के प्रचार-प्रसार पर रोक लगाई जाएगी। सरकार ने अवैध धन जुटाने वाली स्कीमों के संचालकों द्वारा प्रसारित की जाने वाली गलत सूचनाओं पर रोक लगाने की जरूरत पर जोर दिया है।
कंपनी मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने कहा कि शराब, सिगरेट और अन्य उत्पादों की तरह इन योजनाओं के विज्ञापनों को भी प्रतिबंधित करने की जरूरत है।.
जो लोग ऐसा दावा करते हैं कि वह पांच महीने या छह महीने में रकम दोगुनी कर सकते हैं, उन्हें इसके लिए प्रचार भी करना पड़ता है। तभी लोगों को ऐसी योजना की जानकारी हासिल होती है। पायलट ने कहा कि ऐसी योजनाओं पर नियंत्रण
के लिए इनके प्रचार-प्रसार के तरीकों की भी निगरानी करनी पड़ेगी। पायलट ने कहा कि जिन विज्ञापनों में अवास्तविक रिटर्न का दावा किया जाता है उन पर कार्रवाई होनी चाहिए, इस तरह की प्रचार सामग्री को हटाया जाना चाहिए। सरकार जल्दी ही इस मामले में विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगी ताकि अवैध तरीकों से धन जुटाने वाली योजनाओं और जनता के बीच गलत जानकारियों के प्रसार पर रोक लगाई जा सके।पश्चिम बंगाल स्थित सारधा समूह का घोटाला सामने आने के बाद कंपनी मामलों के मंत्रालय सहित विभिन्न मंत्रालय, नियामक और विभिन्न एजेंसियां पोंजी स्कीमों पर शिकंजा कसने की कवायद में जुटी हैं।
इसके तहत सरकार ने मई में एक अंतर मंत्रालयी समूह (आइएमजी) का गठन किया था। इसमें भारतीय रिजर्व बैंक और बाजार नियामक सेबी के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। पायलट ने कहा कि आइएमजी की कई बैठकें हो चुकी हैं। जल्दी ही इन स्कीमों पर लगाम लगाने के लिए सुझावों की पहली सूची पेश की जाएगी। इन सुझावों में पोंजी स्कीमों के विापनों पर प्रतिबंध का सुझाव भी शामिल करने की सिफारिश की जाएगी।इस मसले पर पायलट बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा के साथ भी विचार-विमर्श कर चुके हैं।
सेबी को हाल ही में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जुटाने वाली सभी योजनाओं के नियमन का अधिकार दिया गया है। पायलट ने कहा कि नियमन कौन करेगा यह महत्वपूर्ण नहीं है। जरूरी यह है कि नियमन हो और लोगों के हितों की सुरक्षा हो। एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने का सिलसिला अब खत्म होगा।
कंपनी मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने कहा कि शराब, सिगरेट और अन्य उत्पादों की तरह इन योजनाओं के विज्ञापनों को भी प्रतिबंधित करने की जरूरत है।.
जो लोग ऐसा दावा करते हैं कि वह पांच महीने या छह महीने में रकम दोगुनी कर सकते हैं, उन्हें इसके लिए प्रचार भी करना पड़ता है। तभी लोगों को ऐसी योजना की जानकारी हासिल होती है। पायलट ने कहा कि ऐसी योजनाओं पर नियंत्रण
के लिए इनके प्रचार-प्रसार के तरीकों की भी निगरानी करनी पड़ेगी। पायलट ने कहा कि जिन विज्ञापनों में अवास्तविक रिटर्न का दावा किया जाता है उन पर कार्रवाई होनी चाहिए, इस तरह की प्रचार सामग्री को हटाया जाना चाहिए। सरकार जल्दी ही इस मामले में विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगी ताकि अवैध तरीकों से धन जुटाने वाली योजनाओं और जनता के बीच गलत जानकारियों के प्रसार पर रोक लगाई जा सके।पश्चिम बंगाल स्थित सारधा समूह का घोटाला सामने आने के बाद कंपनी मामलों के मंत्रालय सहित विभिन्न मंत्रालय, नियामक और विभिन्न एजेंसियां पोंजी स्कीमों पर शिकंजा कसने की कवायद में जुटी हैं।
इसके तहत सरकार ने मई में एक अंतर मंत्रालयी समूह (आइएमजी) का गठन किया था। इसमें भारतीय रिजर्व बैंक और बाजार नियामक सेबी के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। पायलट ने कहा कि आइएमजी की कई बैठकें हो चुकी हैं। जल्दी ही इन स्कीमों पर लगाम लगाने के लिए सुझावों की पहली सूची पेश की जाएगी। इन सुझावों में पोंजी स्कीमों के विापनों पर प्रतिबंध का सुझाव भी शामिल करने की सिफारिश की जाएगी।इस मसले पर पायलट बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा के साथ भी विचार-विमर्श कर चुके हैं।
सेबी को हाल ही में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जुटाने वाली सभी योजनाओं के नियमन का अधिकार दिया गया है। पायलट ने कहा कि नियमन कौन करेगा यह महत्वपूर्ण नहीं है। जरूरी यह है कि नियमन हो और लोगों के हितों की सुरक्षा हो। एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने का सिलसिला अब खत्म होगा।
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