देश भर में तेजी से बढ़ रहे फ्राड मामलों को ध्यान में रखते हुए कंपनी मामलों के मंत्रालय ने तय किया है कि वो एक ऐसी ऐजेन्सी स्थापित करेगी जो कंपनियों की खुफिया जांच करेगी और मंत्रालय को कार्रवाई के लिए पूरा कांक्रीट उपलब्ध कराएगी। सिर्फ कॉर्पोरेट कंपनियां ही नहीं,बल्कि चिटफंड, एमएलएम, डायरेक्टर सेलिंग,चैन मार्केटिंग,आनलाइन शॉपिंग और जॉब्स के नाम पर भी देश भर में हजारों फर्जी कंपनियां संचालित हो रहीं है। कई कंपनियां तो ऐसी हैं जिनका नाम पता तक लोगों को मालूम नहीं। सरकार को इन कंपनियों के बारे में पता तब चलता है जब वो सैंकड़ों करोड़ का चूना लगा चुकी होतीं हैं।
अब सरकार ने तय किया है कि वो अपना निजी इन्फार्मेशन नेटवर्क तैयार करेगी। यह बेहतर निर्णय है। सरकारी रिलीज में बताया गया है कि वित्तीय धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए कंपनी मामलों का मंत्रालय एक नयी खुफिया इकाई स्थापित कर रहा है जो कंपनियों और उनके प्रवर्तकों द्वारा किए जाने वाले किसी भी गलत काम का शुरूआती चरण में ही पता लगा लेगी। इसके लिए, खुफिया इकाई हर संभव स्रोतों से आंकड़े एकत्र करेगी।
कंपनी मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने एक भेंटवार्ता में बताया मंत्रालय में हम एक खुफिया इकाई स्थापित कर रहे हैं। यह एक शुरूआती चरण में है। हम इसमें गहरे अनुभवी और दक्ष लोगों को लगाएंगे,ये ऐसे लोग होंगे जो कहीं से भी आंकड़े जुटा सकेंगे।
पायलट जी ने कहा हमारा विचार है कि इसमें ऐसे लोगों को लगाया जाये जो आंकड़े एकत्र करने,विभिन्न मंचों पर उपलब्ध ब्यौरे की जांच करने और उन्हें जांच एजेंसियों से प्राप्त सूचनाओं के साथ जोड़ने में दक्ष हों। मंत्रीजी ने ये भी कहा कि शुरूआती चरण में ही कंपनियों में धोखाधड़ी की संभावना का पता लगाने के लिए आवश्यक सूचना आमतौर पर एक या अन्य जगह उपलब्ध होती है और वास्तव में जरूरत इस बात की है कि हम इस सूचना से मतलब निकाल लें। उन्होंने कहा कि ब्यौरे अलग अलग नामों और अनुषंगियों के तहत छिपाए गए हो सकते हैं।
ऐसा हो जाने से करोड़ो रूपए आज ऑनलाइन मार्किट से ठगे जा रहे है उस पर भरी मात्रा में रोक लगे जा सकती है!
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