बिहार की विधानसभा में फर्जी इन्वेस्टमेंट कंपनियों के खिलाफ दमदार सवाल उठाए गए। ध्यानाकर्षण सूचना के जरिए जदयू ने सदन को बताया कि नन बैंकिंग कंपनियों ने बिहार में जाल फैला दिया है। अंतत: अध्यक्ष ने तीन महीने में इन कपंनियों के खिलाफ जांच के आदेश जारी किए।
सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह ने विधानसभा में कहा कि राज्य में संचालित हो रहीं नॉन बैंकिंग कंपनियों के कार्यकलापों की जांच होगी. तीन माह में जांच पूरी कर कार्रवाई से सदन को अवगत कराया जायेगा. दी 'कोसी सेंट्रल को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड' के आपराधिक गतिविधियों की जांच आर्थिक अपराध इकाई से करायी जायेगी.
इस संस्था के एमडी जितेंद्र मिश्र भिक्षु को पुलिस ने सहरसा से 16 मार्च को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. इसके अलावा संस्था के निबंधन में सहयोग करनेवाले सहकारिता विभाग के दो सेवानिवृत्त पदाधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही संचालित कर उसे दंडित किया जायेगा.
बुधवार को वह विधानसभा में श्रवण कुमार समेत अन्य सदस्यों द्वारा लाये गये ध्यानाकर्षण सवाल का जवाब दे रहे थे. उन्होंने बताया कि कोसी सेंट्रल को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी का नेटवर्क कोसी प्रमंडल के सहरसा के अलावा बेगूसराय, खगड़िया, पूर्णिया, भागलपुर, अररिया, कटिहार, मुंगेर एवं अन्य जिलों में भी है. इसके क्रियाकलापों की जांच के लिए विधि विभाग से परामर्श मांगी गयी थी. परामर्श के आलोक में आर्थिक अपराध इकाई से जांच कराने का निर्णय लिया गया है.
जनता से प्राप्त शिकायत व सदन में सवाल पूछे जाने पर तत्कालीन मंत्री गिरिराज सिंह ने मामले की जांच विभाग के उच्चधिकारियों की टीम से कराने का निर्णय लिया था. जांच प्रतिवेदन से संतुष्ट नहीं होने पर संयुक्त निबंधक सहयोग समितियां पूर्णिया से जांच करायी गयी. उन्होंने बताया कि श्री मिश्र को सहयोग देनेवाले विभागीय पदाधिकारियों व कर्मियों की भूमिका की भी जांच होगी.
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