डायरेक्ट सेलिंग सेक्टर 20 फीसदी की सालाना ग्रोथ के साथ वित्त वर्ष 2014-15 तक 10,843.6 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच सकता है। पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा डायरेक्ट सेलिंग सेक्टर पर किए गए सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2011-12 में इंडस्ट्री ने कुल 6,385.1 करोड़ रुपये का कारोबार किया।
पीएचडी चैंबर ने यह सर्वे डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री एसोसिएशन (आईडीएसए) के साथ मिलकर किया है। डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री की ग्रोथ के बारे में पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के चीफ इकोनॉमिस्ट और हेड ऑफ रिसर्च एसपी शर्मा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री की ग्रोथ बेहतरीन रही है। सेक्टर ने तेजी से उभरते वैकल्पिक वितरण चैनलों के माध्यम से देश में अपना विस्तार किया है।
सर्वे के मुताबिक वेलनेस, हेल्थकेयर सेगमेंट, ब्यूटी, कॉस्मेटिक्स और पर्सनल केयर सेगमेंट ने डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री की ग्रोथ में अहम योगदान दिया है। वेलनेस से जुड़े उत्पादों ने डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री की कुल बिक्री में 44 फीसदी का योगदान किया है।
इसी तरह ब्यूटी, कॉस्मेटिक्स और पर्सनल केयर उत्पादों ने इंडस्ट्री की 2011-12 की कुल बिक्री में 33 फीसदी तक योगदान दिया है। आईडीसीए की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि डायरेक्ट सेलिंग कंपनियां प्रत्यक्ष करों के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था में योगदान कर रही हैं।
आईडीएसए के चेयरमैन एस सुब्रह्मण्यम ने कहा कि आईडीएसए की सदस्य कंपनियों ने 2011-12 में 821.2 करोड़ रुपये का योगदान किया है। वहीं, 2010-11 में कंपनियों ने 647 करोड़ रुपये के कर का भुगतान किया था। वित्त वर्ष 2011-12 में डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों से कर संग्रह 26.9 फीसदी तक बढ़ा है।
इसके अलावा इंडस्ट्री देश में स्व रोजगार के मौके पैदा करने में अहम भूमिका निभा रही है। सुब्रह्मण्यम के मुताबिक डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री का कुल वितरण आधार 2011-12 में 48,53,232 लाख रहा है। वित्त वर्ष 2014-15 तक डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री का आधार 80,00,000 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है।
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