अन्ना के आंदोलन से भारतीय सैनिकों के सर काटने की घटना के विरोध में पाकिस्तान का झंडा जलाने और आक्रोश व्यक्त करने तक, लगतार देश का हर वर्ग सड़कों पर उतर आ रहा है। मामलों का समर्थन या विरोध कर रहा है। स्कूल के स्टूडेंट्स से लेकर रतन टाटा जैसे कार्पोरेटर्स तक सभी लोग प्रतिक्रियाएं जता चुके हैं, लेकिन एमएलएम इंडस्ट्री इन तमाम मामलों में लापता है।
भारत में लोकपाल की मांग उठी और इसी के साथ शुरू हुआ, देश की हर कम्यूनिटी का सड़कों पर आना। लोगों ने अपने अपने ठंग से लोकपाल का समर्थन या विरोध किया। इसमें समाज का हर वर्ग शामिल था, लेकिन पूरे भारत में किसी भी शहर के एमएलएम लीडर्स या किसी भी एमएलएम कंपनी ने ऐसे किसी मामले में सड़कों पर आकर अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त नहीं की। लीडर्स सीना तानकर बताते हैं कि उनके पास हजारों की टीम है, लेकिन उन्होंने कभी भी सामान्य सोसायटी के सामने एमएलएम की नंबर्स पॉवर का प्रदर्शन नहीं करते।
गैंगरेप और उसके बाद पाकिस्तान के खिलाफ पूरा भारत उबल रहा है। भारत के स्टूडेंट से लेकर प्रेसीडेंट तक हर वर्ग, हर तबके के लोग विरोध कर रहे है। अपने अपने स्तर पर प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन एमएलएम इंडस्ट्री न जाने कहां छिपी बैठी है।
समझ नहीं आ रहा कि क्यों हम अपनी पहचान छिपाने की कोशिश करते रहते हैं। क्योंकि हमारे दिल में एक चोर बैठा होता है जो हमें हमेशा डराता रहता है और क्यों हम गर्व के साथ यह नहीं कहते कि हम एक एमएलएम लीडर हैं।
हमारे विजिटिंग कार्डर्स पर किसी कंपनी का नाम होता है या कूछ और लेकिन नाम के नीचे नेटवर्कर या एमएलएम लीडर नहीं लिखा होता, जबकि जब हम किसी एमएलएम कंपनी के सेमिनार में होते हैं तो बार बार यही साबित करने की कोशिश करते हैं कि मैं भारत का सबसे बड़ा लीडर हूं और मेरे पास सबसे बड़ी टीम है।
सवाल यह है खुद को एमएलएम लीडर कहते हुए जो फेस एक्सप्रेशसन्स आपके चैहरे सेमिनार के दौरान होते हैं, वो किसी शादी ब्याह या दूसरे कार्यक्रम में किसी दूसरी इंडस्ट्री के लोगों से मिलते समय क्यों नहीं होते।
क्यों आप हाथ मिलाते हुए गर्व के साथ अपना परिचय एमएलएम लीडर के रूप में नहीं देते, क्योंकि आपके विजिटिंग कार्ड पर कोई झूठ छपा होता है। यदि हम सामाजिक आयोजनों में हिस्सा नहीं लेंगे, अपनी पहचान छिपाकर रखेंगे, भीड़ से डरते रहेंगे और सवालों से भागते रहेंगे। शिकार को अकेले में दबोचने की कोशिश करते रहेंगे तो तय मानिए
ये समाज
ये सरकार
और ये संसार
हमेशा हमें शक की नजरों से ही देखेगा और हम कभी भी अपना वो स्थान नहीं बना पाएंगे जो एमएलएम को मिलना चाहिए। यहां मैं यह भी याद दिलाना चाहता हूं कि फ्राड केवल एमएलएम में नहीं होता, हर इंडस्ट्री में होता है।
अपनी कालोनी के किराना व्यापारी से लेकर अंबानी ग्रुप तक फ्राड ही फ्राड है। किराने पर नकली और मिलावटी सामान तो कार्पोरेट हाउसेज में टैक्सचोरी और नकली मटीरियल से बने ब्रांडेड प्रोडक्ट्स। फिर भी उनके डीलर्स और उनसे जुड़े लोग सीना ताने घूमते हैं, तो फिर एमएलएम वाले क्यों दुम दबाए भागते रहते है।
सोचिए जरा सोचिए
लिखने वाला एक एम् एल एम् लीडर
RIGHT H.............APP AAOU I AM WITH U.......GOPAL GODARA......
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